पटना/गांधीनगर : गुजरात के गांधीनगर में रविवार शाम आयोजित शाश्वत मिथिला महोत्सव-2025 को केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने शाश्वत मिथिला भवन का लोकार्पण और मैथिल कवि कोकिल विद्यापति जी की प्रतिमा का अनावरण भी किया। कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा सहित देश-विदेश से आए अनेक गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन शाश्वत मिथिला फाउंडेशन और और मां जानकी सेवा समिति की ओर से किया गया था। अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दुनिया की आदर्श नारी, आदर्श पत्नी और आदर्श माता की प्रतीक और भारतीय संस्कृति की प्रतिमूर्ति माता सीता की जन्मस्थली मिथिला ही है। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन चुका है और अब माता सीता का मंदिर बनाने का समय है। आने वाले समय में मिथिला में मां जानकी का एक भव्य मंदिर बनाया जाएगा, जो पूरी दुनिया की नारी शक्ति को आदर्श जीवन का संदेश देगा। उन्होंने कहा कि गुजरात ने हमेशा देश और दुनिया के लोगों का स्वागत किया है। नई-नई विचारधाराओं और हर तरह की जीवन पद्धतियों का भी गुजरात ने स्वागत किया है। गुजरात के विकास में बिहारियों, खासकर मिथिला वासियों, का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गुजरात में वे सुरक्षित, सम्माननीय और स्वागत योग्य हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मिथिला की धरती महाभारत और रामायण काल से वद्विानों, वाद-विवाद और मीमांसा की धरती रही है। रामायण और महाभारत से लेकर पुराणों तक, वेद-वेदांत, मीमांसा और समृद्ध साहत्यि, इनकी रचना का अगर मूल ढूंढा जाए तो सभी का मूल मिथिला में ही मिलता है। उन्होंने कहा कि मिथिला मां सीता की जन्मभूमि और जनक जैसे विद्वान राजर्षि की भूमि है, जहां अष्टावक्र मुनि ने अष्टावक्र गीता की रचना की। उन्होंने कहा कि मिथिला में याज्ञवल्क्य जैसे ज्ञानी और ऋषि गौतम एवं मंडन मिश्र जैसे दार्शनिक हुए। इस धरती ने ज्योतिरिश्वर ठाकुर और महाकवि विद्यापति जैसे महान कवि दिए। अमित शाह ने कहा कि हमारे अनेक ग्रंथों में मिथिला और मिथिलावासियों के योगदान का काफी जिक्र मिलता है, जिनमें शतपथ ब्राह्मण, वाल्मीकि रामायण, महाभारत, बौद्ध साहित्य और जैन साहित्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि महाकवि कालिदास ने अपनी रचना रघुवंशम, श्रीहर्ष ने नैषधीयचरित और जयदेव ने प्रसन्न राघव में मिथिला की चर्चा की है। इन सभी कवियों ने मिथिला को शिक्षा, सरस्वती की उपासना के साथ जोड़ा और मिथिला का वर्णन ज्ञान की भूमि के रूप में किया है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि हमारा भारत लोकतंत्र की जननी है। भारत में लोकतंत्र की शुरुआत ही विदेह और मिथिला ने कराई थी। महात्मा बुद्ध ने अनेक बार कहा कि जब तक विदेह के लोग आपस में मिलकर रहेंगे, तब तक कोई उसे हरा नहीं सकता। मिथिला ने लोकतंत्र के रूप में एक मजबूत ताकत खड़ी की, जो सालों तक पूरे देश और दुनिया को संदेश देती रही है। अमित शाह ने कहा कि मिथिला शास्त्रार्थ की भी भूमि रही है। उन्होंने कहा कि राजा जनक और याज्ञवल्क्य का शास्त्रार्थ हो या मंडन मिश्र और शंकराचार्य का शास्त्रार्थ हो, संवाद से समाधान की परंपरा का पालन पूरे विश्व में सबसे मुक्त रूप से कहीं हुआ तो वो मिथिला में हुआ। इस परंपरा का पूरा विश्व सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा को ध्यान से देखें तो प्रमुख माने जाने वाले छह दर्शनों में से चार दर्शन (सांख्य दर्शन, न्याय दर्शन, मीमांसा और वैशेषिक दर्शन) मिथिला की भूमि पर निर्मित किए गए। इन चारों दर्शन की रचना मिथिला के विद्वानों ने की। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मिथिला की नारी शक्ति ने प्राचीन काल से ही देश में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मिथिला में नारियों का भी हमेशा से सम्मान हुआ है। मिथिला में जितना सम्मान याज्ञवल्क्य और कणाद मुनि का है, उतना ही सम्मान मैत्रेयी, गार्गी और भारती का है। मंडन मिश्र और शंकराचार्य के शास्त्रार्थ की अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी मंडन मिश्र की पत्नी भारती को दी गई थी और उन्होंने बड़े न्यायिक तरीके से शंकराचार्य को विजेता घोषित किया। यह सिर्फ मिथिला में संभव है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में बसे मिथिलावासियों ने गांधीनगर में एक भवन बनाया है, जो मिथिला के लोगों के लिए काफी सुविधाजनक सिद्ध होगा। साथ ही, यहां महाकवि विद्यापति की एक प्रतिमा स्थापित की गई है।
इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि बिहार और गुजरात का मधुर संबंध आदिकाल से रहा है। बिहार बुद्ध, महावीर, अशोक, आर्यभट्ट, चाणक्य, विद्यापति जी जैसे अनेकानेक युगपुरुषों का प्रदेश है। मिथिला माता सीता की प्राकट्य भूमि है, जिन्होंने भगवान श्रीराम के साथ वनवास के कुछ वर्ष गुजरात में भी बिताए थे। गुजरात में पैदा हुए महामानव महात्मा गांधी की कर्मभूमि बिहार के चंपारण में रही है।
भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात में शाश्वत मिथिला भवन का निर्माण और शाश्वत मिथिला सम्मेलन जैसे कार्यक्रम का आयोजन बिहार और गुजरात के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने के सेतु हैं।
इस अवसर पर जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के कुशल नेतृत्व में पिछले 19 वर्षों में मिथिला सहित पूरे बिहार में जनसुविधाओं की स्थिति तेजी से बदली है। आज बिहार के गांव-गांव में पक्की सड़कें और भरपूर बिजली है। दरभंगा में उड़ान स्कीम का सबसे सफल एयरपोर्ट है और जल्द एम्स बनने वाला है। राज्य में लाखों की संख्या में युवाओं को सरकारी नौकरी और स्वरोजगार के लिए सहायता दी जा रही है। अब अगले पांच साल में मिथिला और बिहार विकास की एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की डबल इंजन की सरकार है। केंद्र के पिछले दो वर्षों के बजट में बिहार पर विशेष ध्यान दिया गया है। अब अगला पांच साल बिहार के विकास के लिए स्वर्णिम काल होने वाला है। इस दौरान बिहार में उद्योगों की स्थापना के साथ तेजी से निवेश और रोजगार सृजन होगा। केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष के बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की गई है। इसके गठन से मखाना देश-दुनिया में बेहतर तरीके से पहुंचेगा और मिथिला के लाखों लोगों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।
संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला में बाढ़ से सुरक्षा और सिंचाई सुविधा के लिए नीतीश सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर काम हुए हैं। अब केंद्र सरकार भी उत्तर बिहार में बाढ़ से सुरक्षा तथा सिंचाई की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए सहयोग कर रही है। संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला हाट की शानदार सफलता ने दिखाया है कि मिथिला में स्थानीय संस्कृति तथा खानपान के साथ-साथ पर्यटन के विकास में निवेश की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने गुजरात में रह रहे मिथिला के लोगों से आह्वान किया कि वे मिथिला में निवेश के बारे में सोचें। संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला के लोग जहां भी गए हैं, वहां उन्होंने अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित तथा संरक्षित रखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं गुजरात के मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने यहां मिथिला से आये लोगों के मान-सम्मान को महत्व दिया है।’ कार्यक्रम में शाश्वत मिथिला फाउंडेशन और मां जानकी सेवा समिति के पदाधिकारियों ने अतिथियों को मिथिला की परंपरा के अनुरूप पाग-चादर देकर सम्मानित किया।