नई दिल्ली: विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के बीच मतभेद सामने आने और कांग्रेस द्वारा गंभीर आत्मचिंतन के लिए आवाज उठने के साथ विपक्ष गठबंधन में बिखराव की लकीरें गहरी हो गई हैं। आपसी टकराव का ताजा मुद्दा महाराष्ट्र से आया है। यहां समाजवादी पार्टी (सपा) ने शुक्रवार को शिवसेना (यूबीटी) नेता द्वारा बाबरी विध्वंस की प्रशंसा करने के बाद महा विकास आघाडी (एमवीए) छोड़ने की घोषणा कर दी। इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया और मौका मिलने पर ‘इंडिया’ गठबंधन की कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत दिया। तृणमूल प्रमुख ने कहा कि वह बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका जारी रखते हुए विपक्ष के मोर्चे के नेतृत्व की दोहरी जिम्मेदारी संभालने में सक्षम होंगी।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में सपा के दो विधायक हैं। सपा के बाहर निकलने का असर एमवीए पर कम ही पड़ने की उम्मीद है। फिर भी, यह घटनाक्रम कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के भीतर क्षेत्रीय दलों के बीच जारी असंतोष को दर्शाता है। विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र राज्य में सपा की सीमित मौजूदगी के कारण सपा के गठबंधन से बाहर होने से एमवीए को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है, लेकिन आगामी निकाय चुनाव से पहले यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है। सपा विधायक अबू आजमी ने यह घोषणा बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल लोगों को बधाई देने वाला विज्ञापन एक स्थानीय अखबार में प्रकाशित होने के बाद की। इसके अलावा, उद्धव ठाकरे के एक करीबी सहयोगी एवं विधान परिषद सदस्य मिलिंद नार्वेकर द्वारा एक पोस्ट में उक्त कृत्य की प्रशंसा की, जिससे तनाव और बढ़ गया। आजमी ने कहा, ‘हम एमवीए छोड़ रहे हैं। मैं अखिलेश यादव से बात कर रहा हूं।’ आजमी ने कहा, ‘यदि एमवीए में कोई ऐसी भाषा बोलता है, तो भाजपा और उनके बीच क्या अंतर है? हमें उनके साथ क्यों रहना चाहिए?” उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को यह निर्णय करना होगा कि क्या वह ऐसे व्यक्ति के साथ गठबंधन कर सकती है जो इस तरह की बातें करता है।’ शिवसेना (यूबीटी) नेता भास्कर जाधव ने आलोचना का जवाब देते हुए सपा पर शिवसेना के रुख का अहसास 31 साल बाद होने का आरोप लगाया। जाधव ने सपा पर सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर झुकाव का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के एमवीए छोड़ने के फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नितिन राउत ने कहा, ‘हम समाजवादी पार्टी के साथ उसके फैसले पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि समस्या क्या है।
दूसरी ओर, एक चैनल से साक्षात्कार में ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैंने ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन किया था, अब इसे प्रबंधित करना मोर्चे का नेतृत्व करने वालों पर निर्भर है। अगर वे यह नहीं कर सकते, तो मैं क्या कर सकती हूं? मैं बस यही कहूंगी कि सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है।” यह पूछे जाने पर कि एक मजबूत भाजपा विरोधी ताकत के रूप में अपनी साख को देखते हुए वह गठबंधन का प्रभार क्यों नहीं ले रही हैं, बनर्जी ने कहा, ‘यदि अवसर दिया गया तो मैं इसका सुचारू संचालन सुनिश्चित करूंगी।’ मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी उनकी पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सहयोगियों से अपने अहंकार को अलग रखने तथा ममता बनर्जी को गठबंधन के नेता के रूप में मान्यता देने का आह्वान किए जाने के कुछ दिन बाद आई।
कांग्रेस को ताकत दिखाने लगे सहयोगी दल
संसद के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर अन्य मुद्दों पर भी ‘इंडिया’ के सहयोगी दलों के बीच मतभेद हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद, अब पार्टियां गठबंधन के भीतर अपनी ताकत दिखाने लगी हैं। खराब चुनावी प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को लेकर कुछ विपक्षी दलों का मानना है कि उसे आत्मचिंतन करना चाहिए और दूसरों के प्रति उदार होना चाहिए। सहयोगी दल विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस के ‘दबदबे’ के खिलाफ भी बोल रहे हैं। अडानी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के दौरान सपा और टीएमसी भी ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ नहीं दिखीं। संसद के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर अन्य मुद्दों पर सहयोगी दलों के बीच मतभेद हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद, अब पार्टियां गठबंधन के भीतर ताकत दिखाने लगी हैं। अब निगाहें कांग्रेस के अगले कदम पर हैं, क्योंकि प्रमुख विपक्षी पार्टी अडानी और किसानों के मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन समेत कई मुद्दों पर संसद में खुद को अलग-थलग पाती है।
खरगे को जवाब देना चाहिए: राजा
विपक्षी गठबंधन के भीतर हाल के घटनाक्रम पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गठबंधन के अध्यक्ष हैं। उन्हें मुद्दों पर जवाब देना चाहिए। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस को अपने सहयोगियों के प्रति अधिक उदार होना चाहिए और कुछ ‘गंभीर आत्मनिरीक्षण’ करना चाहिए। राजा ने कहा, ‘कांग्रेस को गंभीरता से आत्मचिंतन करना होगा और इस बात पर विचार करना होगा कि विधानसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा ठीक से क्यों नहीं किया गया, जहां उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।’ जदयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि इंडिया’ गठबंधन के हमेशा से बिखरने का खतरा रहा है। अब यह केवल एक औपचारिकता है।