नई दिल्लीः कनाडा के व्यवहार को अत्यंत घटिया बताते हुए वहां से वापस बुलाए गए भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा ने कहा कि ऐसे देश ने, जिसे हम मित्रवत लोकतांत्रिक देश मानते हैं, भारत की पीठ में छुरा घोंपा और सर्वाधिक गैर-पेशेवर रवैया अपनाया। उन्होंने कहा कि मुट्ठीभर खालिस्तान समर्थकों ने इस विचारधारा को एक आपराधिक उपक्रम बना दिया है जो मानव तस्करी और हथियार तस्करी जैसी अनेक गतिविधियों में लिप्त हैं। इस सबके बावजूद कनाडा के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि ऐसे कट्टरपंथी स्थानीय नेताओं के लिए वोट बैंक होते हैं।
कनाडा ने अपने नागरिक और भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी घोषित किए गए हरदीप सिंह निज्जर की जून 2023 में हत्या के मामले में कहा था कि वर्मा इस मामले में जांच के तहत ‘निगरानी की श्रेणी’ में हैं। इस मामले में कनाडा आगे कोई कार्रवाई करता, उससे पहले भारत ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को वहां से वापस बुला लिया। वर्मा जापान तथा सूडान में भारत के राजदूत रह चुके हैं। क्या उन्होंने अपने 36 साल के राजनयिक कॅरियर में कभी इस तरह का कुछ देखा है, इस सवाल पर वर्मा ने कहा, ‘‘यह अत्यंत घटिया बात है। यह द्विपक्षीय संबंधों के प्रति सर्वाधिक गैर-पेशेवर रवैया है। अगर वे मानते हैं कि यह उनके लिए भी एक व्यापक रिश्ता है तो राजनयिक के पास अन्य कूटनीतिक साधन होते हैं। चीजों का संतोषजनक समाधान निकालने के लिए इन साधनों का इस्तेमाल किया जा सकता था।” उन्होंने कहा, ‘‘जो बच्चा सबसे ज्यादा रोता है, मां सबसे पहले उसका पेट भरती है। इसी तरह, उन लोगों (खालिस्तान समर्थकों) की संख्या मुट्ठीभर ही है, लेकिन वे सबसे ज्यादा चिल्लाते हैं और कनाडा के नेताओं का उन पर सबसे अधिक ध्यान जाता है।” वर्मा ने कहा कि कनाडा में घोर कट्टरपंथी खालिस्तानियों की संख्या महज करीब 10,000 है और करीब आठ लाख की सिख आबादी में उनके समर्थकों की संख्या संभवत: एक लाख है। उन्होंने कहा, ‘‘वे समर्थन हासिल करने के लिए वहां आम सिखों को धमकाते हैं जिसमें इस तरह की धमकियां शामिल हैं कि ‘‘हमें पता है कि तुम्हारी बेटी कहां पढ़ रही है।” वर्मा ने कहा, ‘‘खालिस्तानियों ने कनाडा में खालिस्तान को एक कारोबार बना लिया है। खालिस्तान के नाम पर वे मानव तस्करी करते हैं, मादक पदार्थों की तस्करी करते हैं, हथियारों की तस्करी करते हैं और ऐसे सारे काम करते हैं। वे इससे बहुत धन जुटाते हैं और गुरुद्वारों के माध्यम से भी पैसा जुटाते हैं तथा इसका कुछ हिस्सा अपने सभी घृणित कृत्यों में खर्च करते हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘वो सारी घटिया चीजें जिनके बारे में आप सोच सकते हैं, वे उनमें संलिप्त हैं।’
वर्मा ने उस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम का विस्तार से जिक्र किया जिसके बाद उन्हें और उनके सहकर्मियों को हड़बड़ी में कनाडा छोड़कर आना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘कूटनीति में ऐसा नहीं होता। आम तौर पर, शुरुआत में किसी तरह का संदेश दिया जाता है। मुझे वह भी नहीं मिला। और, अचानक यह हमें सौंप दिया गया। इसलिए, मैं कहूंगा कि यह अविश्वास को दर्शाता है, यह एक तरह से पीठ में छुरा घोंपने के समान है जो कनाडा में हमारे बहुत ही पेशेवर सहयोगियों द्वारा हमारे साथ किया गया था।’
अचानक गैंगस्टर गोल्डी बराड़ का नाम अपनी वांछित सूची से हटाया
संजय वर्मा ने कहा कि कनाडा ने अचानक उत्तरी अमेरिकी राष्ट्र में सक्रिय गैंगस्टर गोल्डी बराड़ का नाम वांछित अपराधियों की अपनी सूची से हटा दिया। भारत ने कनाडाई अधिकारियों के साथ गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और बराड़ के नाम साझा किए थे, जिसने बराड़ का नाम वांछितों की सूची में डाल दिया था। उन्होंने कहा कि बराड़ कनाडा में एक गिरोह चलाता था लेकिन उस देश में ऐसे कई समूह हैं जिनकी पहुंच इतनी अंतरराष्ट्रीय नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव पूरे कनाडा में है। वर्मा ने कहा, ‘‘गोल्डी बराड़ कनाडा में रह रहा था। हमारे अनुरोध पर, उसका नाम वांछितों की सूची में डाल दिया गया था। अचानक, उसका नाम वांछितों की सूची से गायब हो गया। मैं इससे क्या मतलब निकालूं? या तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया है या वह अब वांछित नहीं है।” माना जाता है कि बराड़ लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का सदस्य था और मई 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने के बाद वह चर्चा में आया। हालांकि, खबरों से पता चलता है कि दोनों अब अलग-अलग गिरोह चला रहे हैं।