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1000 बेबीजः नई कहानी, पर सुस्त अंदाज

इस सीरीज में सइकोलॉजी भी है और सीरियल किलिंग भी। बीच में कहानी अपनी दिशा बदलती है और एक सस्पेंस के साथ शुरू हुई कहानी, सीरियल किलिंग की ओर मुड़ जाती है।

वेब सीरीजः 1000 बेबीज (1000 Babies)

निर्देशकः नजीम कोया

कलाकारः नीना गुप्ता, रहमान, संजू शिवराम व अन्य

एपिसोड्सः 7 (करीब 30 मिनट)

प्लेटफॉर्मः डिज्नी प्लस हॉटस्टार

कथानकः सीरीज की शुरुआत वर्ष 2010 से होती है और हम देखते हैं सारा ऑसफ और उनके बेटे को। दोनों कोयट्टम के सुनसान इलाके में एक घर में रहते हैं। सारा एक रिटायर्ड नर्स है और उनका बेटा बिबिन एक लैब में टेक्निशियन का काम करता है। बिबिन की शादी नहीं हुई है। घर में मां-बेटा ही हैं। सारा कुछ मनोवैज्ञानिक तकलीफों से गुजर रही हैं। उन्हें कई बार कुछ भ्रम भी हो जाता है। साथ ही, वह दिनभर मार्कर से दीवार पर कुछ लिखती रहती हैं। एक दिन वह बिबिन के लिए अच्छा भोजन पकाती हैं और खाने की मेज पर उसे कुछ राज की बातें बताती हैं। वह बातें सुनकर बिबिन गुस्से में आ जाता है और अपनी मां को धक्का देकर कुर्सी से गिरा देता है। सारा को अस्पताल ले जाया जाता है। वहां वह डॉक्टर से एक वकील और पुलिस को बुलाने की मांग करती हैं। वकील और पुलिस अधिकारी आते हैं, और दोनों को वह एक सीलबंद लिफाफा देती हैं। वकील से वह कहती हैं कि वह यह पत्र मजिस्ट्रेट को जाकर दे। पुलिस और मजिस्ट्रेट जब यह पत्र खोलते हैं तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है। वह पत्र सारा की स्वीकारोक्ति (कनफेशन) थी। सबको यह लगता है कि यह बात किसी के सामने नहीं आनी चाहिए और इस राज को वहीं दफन कर दिया जाता है।
करीब 10 साल बाद एक अभिनेत्री का कत्ल हो जाता है। जांच में कुछ सुराग ऐसे मिलते हैं जो इस हत्याकांड की गुत्थी को सारा के पत्र से जोड़ते हैं।

विश्लेषणः सबसे पहली बात तो यह कि इस सीरीज का नाम काफी आकर्षक है। कहानी नई है। कहानी का प्लॉट यूनिक है। एपिसोड्स के नाम भी काफी सोच समझकर रखे गए हैं- सिक्वल, प्रिक्वल .. आदि। सीरीज की शुरुआत काफी जोरदार ढंग से होती है। शुरुआत में जो किरदार सामने आते हैं वह काफी अनोखे और रहस्यमय हैं। धीरे-धीरे एक और उत्सुक्ता दर्शकों के मन में बैठ जाती है कि आखिर उस पत्र में क्या लिखा था। शुरुआत से यह सीरीज दर्शकों को बांध लेती है।
लेकिन अफसोस, शुरुआत की यह खूबसूरती लंबे समय तक नहीं रहती है। शुरू के 3 एपिसोड्स तो काफी अच्छे हैं, लेकिन चौथे एपिसोड से कहानी काफी स्लो हो जाती है। हालांकि, चौथे एपिसोड से कहानी अपनी दिशा बदलती है और एक सस्पेंस के साथ शुरू हुई कहानी अब सीरियल किलिंग की ओर मुड़ जाती है। पुलिस जांच वाला हिस्सा काफी धीमा है और बीच के दृश्य काफी लंबे लगते हैं। साथ ही कई और कमियां भी सामने आती हैं। कहानी का क्लाइमेंस भी कोई खास नहीं है। सारा के मनोविज्ञान को तो हम जानते हैं, लेकिन हत्यारे की मनोदशा को लेकर जो कारण बताए गए हैं, वह बहुत तार्किक नहीं लगते। हालांकि, निर्माताओं ने दूसरे सीजन की गुंजाइश भी बनाए रखी है।

अदाकारीः इस सीरीज का एक आकर्षण नीना गुप्ता भी हैं। पोस्टर आदि पर उनकी जो छवि दिखाई गई वह किसी को खींचने के लिए पर्याप्त हैं। नीना गुप्ता यहां नर्स सारा की भूमिका में हैं। उनकी अदाकारी कमाल की है। पुलिस अधिकारी की भूमिका में रहमान भी प्रभावित करते हैं।

तकनीकी पक्षः सीरीज की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। केरल की खूबसूरती को अच्छे से कैद किया गया है। साथ ही बैकग्राउंड स्कोर दमदार है। सीरीज एडिटिंग के मोर्चे पर मात खा जाती है। यहां इसकी काफी गुंजाइश थी।

सेक्स, नग्नताः सीरीज के कुछ दृश्यों में नग्नता है। साथ ही यहां शराब और ड्रग्स आदि का भी इस्तेमाल दिखता है।

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