Homeस्वस्थ जीवनअचानक न करें खाने-पीने की आदतों में बदलाव, हो सकता है नुकसान

अचानक न करें खाने-पीने की आदतों में बदलाव, हो सकता है नुकसान

चाहे वह अधिक फल और सब्जियां खाना हो, मांस का सेवन कम करना हो या फिर सप्ताह में कुछ दिन शाकाहारी या वीगन बनना हो। स्वस्थ आहार के फायदे तो बहुत हैं, लेकिन भोजन में बदलाव अचानक नहीं करना चाहिए।

नए साल के रेजोल्यूशन में सबसे लोकप्रिय है, हेल्दी फूड हैबिट। बहुत से लोग तय करते हैं कि वह खाने-पीने की अपनी आदतों को बदलेंगे। चाहे वह अधिक फल और सब्जियां खाना हो, मांस का सेवन कम करना हो या फिर सप्ताह में कुछ दिन शाकाहारी या वीगन बनना हो। स्वस्थ आहार के फायदे तो बहुत हैं, लेकिन भोजन में बदलाव अचानक नहीं करना चाहिए। भोजन में किसी भी प्रकार का बदलाव बहुत सावधानी के साथ ही किया जाना चाहिए। यह बात विशेष रूप से तब सच है जब आप डॉक्टर द्वारा बताई गई कोई दवा ले रहे होते हैं क्योंकि कई स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ उनके साथ मिलकर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं। यहां कुछ सामान्य खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ की परस्पर क्रियाएं दी गई हैं जिनके बारे में आपको जानना चाहिए:

अंगूर का रस :  शरीर में कुछ दवाओं को पचाने के लिए जिगर “साइटोक्रोम पी450′ नामक एंजाइम का उपयोग करता है। लेकिन अंगूर के रस में ‘फ़्यूरानोकौमारिन’ नामक रासायनिक मिश्रण होते हैं जो इन एंजाइम की क्रिया को अवरुद्ध कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो कुछ दवाएं शरीर में जमा हो सकती हैं। इसमें ‘साइक्लोस्पोरिन’ भी शामिल है। ‘साइक्लोस्पोरिन’ के अधिक मात्रा में शरीर में जमा होने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें हल्की मतली और उल्टी से लेकर गुर्दे और यकृत की क्षति तक शामिल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल और दिल के दौरे एवं स्ट्रोक को रोकने के लिए उपयोग में आने वाली दवाई ‘स्टैटिन’ की प्रतिक्रिया भी अंगूर के रस से प्रभावित हो सकती है। कई अन्य दवाएं भी अंगूर के रस के साथ परस्पर क्रिया कर सकती हैं – जिसमें एम्लोडिपिन (एक सामान्य उच्च रक्तचाप की दवा) और ‘सिल्डेनाफिल’ शामिल हैं। यदि आप इनमें से कोई भी दवा लेते हैं, तो अंगूर के रस की थोड़ी मात्रा भी पीने से पहले अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से बात करना सबसे अच्छा है। इसे बिल्कुल न पीना भी सबसे अच्छा हो सकता है।

अनार और क्रैनबेरी का रस: कई फल और फलों के रस (विशेष रूप से खट्टे रसीले फल) जिगर में दवाओं के पचने को प्रभावित कर सकते हैं। अनार का रस थक्कारोधी दवा ‘वारफेरिन’ को पचाने वाले जिगर के एंजाइम को अवरुद्ध कर सकता है। रिपोर्ट किए गए कुछ मामलों से पता चलता है कि अनार का रस ‘वारफेरिन’ लेने वाले रोगियों में अंतरराष्ट्रीय सामान्यीकृत अनुपात (आईएनआर- रक्त के थक्के बनने में लगने वाला समय) को बढ़ा सकता है। इसी तरह, क्रैनबेरी रस भी ‘वारफेरिन’ की प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकता है। ‘वारफेरिन’ लेने के साथ-साथ दो हफ्ते तक क्रैनबेरी का रस पीने से एक शख्स की मौत की भी खबर है। विभिन्न अध्ययनों के परिणाम मिले जुले हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि क्रैनबेरी शरीर में ‘वारफेरिन’ को प्रभावित करती है जबकि अन्य ऐसा नहीं दिखाते हैं।

हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, ब्रोकोली और सलाद पत्ते को अक्सर स्वस्थ खाद्य पदार्थ माना जाता है क्योंकि इनमें कैलोरी कम होने के साथ-साथ पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं। हालांकि, इनमें विटामिन के. भी अधिक मात्रा  में होता है, जो थक्के बनाने वाले कुछ कारकों को सक्रिय करता है। यह ‘वारफेरिन’ लेने वाले रोगियों के लिए समस्याजनक हो सकता है। ‘वारफेरिन’ रक्त के थक्के बनने से रोकने के लिए विटामिन के. को अवरुद्ध करता है। लेकिन विटामिन के से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से आपका आईएमआर कम हो सकता है और रक्त का थक्का बनने का जोखिम बढ़ सकता है।

दूधः दूध और डेयरी पदार्थ जैसे पनीर और दही, प्रोटीन और कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं। साथ ही स्वस्थ हड्डियों के लिए आवश्यक खनिज भी हैं। लेकिन ये खाद्य पदार्थ आंत में कुछ दवाओं के अवशोषण को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें कुछ ‘टेट्रासाइक्लिन’ और ‘सिप्रोफ्लोक्सासिन’ जैसे एंटीबायोटिक शामिल हैं। दूध में मौजूद कैल्शियम एंटीबायोटिक से जुड़ सकता है, जिसका मतलब है कि यह रक्तप्रवाह में अवशोषित नहीं हो सकता। यानी शरीर को एंटीबायोटिक की पूरी खुराक नहीं मिलेगी, जिससे संक्रमण से लड़ना मुश्किल हो जाएगा। डेयरी उत्पादों से प्रभावित होने वाली अन्य दवाओं में ‘लेवोथायरोक्सिन’ भी शामिल है, जो कम थायरॉइड स्तर वाले रोगियों को दी जाती है।

बीन्स: बीन्स को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है क्योंकि इनमें फाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। बीन्स पौधे-आधारित प्रोटीन का भी एक बेहतरीन स्रोत हैं। लेकिन सोयाबीन, ब्रॉड बीन्स और स्नो मटर में टायरामाइन की मात्रा अधिक हो सकती है। टायरामाइन शरीर में और कुछ खाद्य पदार्थों (जैसे पुराने पनीर, संसाधित मांस और किण्वित खाद्य पदार्थों) में पाया जाता है, यह एंटीडिप्रेसेंट फेनेलज़ीन के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है।

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