फिल्म — लॉगआउट
ओटटी — जी5
निर्देशक — अमित गोलानी
लेखक — विश्वपति सरकार
कलाकार — बाबिल खान, रसिका दुग्गल, निमिषा नायर
लंबाई — करीब 100 मिनट
कथानक : फिल्म की कहानी है प्रत्यूष दुआ की। प्रत्यूष सोशल मीडिया का एक स्टार है। उसके सब्सक्राइबर्स/फॉलोअर्स की संख्या 10 मिलियन पहुंचने ही वाली है। उसका मोबाइल ही उसका एकमात्र साथ ही, जिसके जरिये वह कंटेंट क्रिएट करता है, पोस्ट करता है, लाइव स्ट्रीमिंग करता है। यानी कि मोबाइल फोन के इर्द-गिर्द ही उसकी दिनचर्या चलती है। एक रात पार्टी करने के बाद नशे की हालत में प्रत्यूष सोशल मीडिया पर लाइव होता है और वहीं उसका फोन खो जाता है। उसका फोन पहुंच जाता है एक लड़की के पास जो खुद को प्रत्यूष का ‘सुपरफैन’ बताती है। लेकिन उसकी कुछ डिमांड्स भी हैं और यहीं से शुरू होती है प्रत्यूष की परेशानियां।
विश्लेषण : फिल्म की कहानी अच्छी है और निर्देशन भी अच्छ है। फिल्म की विषय-वस्तु ऐसी है जिससे हर कोई रिलेट कर सकता है। आजकल हर हाथ में मोबाइल है और हर व्यक्ति कोई न कोई कंटेंट देखने में व्यस्त है। इसके साथ ही, कंटेंट क्रिएटरों की भी फौज सोशल मीडिया पर आ चुकी है। इन्हें हर हाल में वायरल होना है, स्टार बनना है, लाखों-करोड़ों फॉलोवर्स बनाने हैं और बहुत पैसा कमाना है। लेकिन सोशल मीडिया की आभासी दुनिया, सच्चाई के कितने करीब है। यह फिल्म इस विषय को एक रोचक अंदाज में पेश करती है। अच्छी बात यह है कि फिल्म का कोई दृश्य या यहां तक कि कोई संवाद ‘ज्ञान’ नहीं देता, बस इशारों में अपनी बात कह देता है। एक सोशल इश्यू को एक थ्रिलर के रूप में पेश करना भी इस फिल्म की एक अलग बात है। फिल्म शुरुआत से ही ग्रिपिंग है और अंत तक आपको बांधे रखती है।
फिल्म में सिंबलिज्म भी कमाल की है। प्रत्यूष अपने घर में घुस आए एक चूहे को चूहेदानी में कैद करता है। वहीं, मोबीइल खो जाने के बाद उसके जीवन की हर जानकारी एक अनजान व्यक्ति के हाथ में पहुंच जाती है। यहां तक कि वह घर से निकल नहीं सकता या ऑनलाइन खाना आर्डर नहीं कर सकता। यानी कि प्रत्यूष खुद इंटरनेट और एप्स के मकड़जाल में कैद है।
फिल्म के आखिरी कुछ मिनटों में कथानक का सारांश दिखता है। प्रत्यूष एक मेट्रो में बैठता है तो देखता है कि हर व्यक्ति अपने मोबाइल के साथ व्यस्त है, वह अपनी भांजी के स्कूल के वार्षिक समारोह में पहुंचता है तो देखता है कि हर व्यक्ति अपने बच्चे की परफॉर्मेंस को कैमरे में कैद कर रहा है। उसे एहसास ही नहीं कि वह क्या मिस कर रहा है, अपने बच्चे की परफॉर्मेंस, उसका एक स्पेशल मोमेंट। मजेदार होने के साथ-साथ फिल्म एक प्रासंगिक विषय को मनोरंजक तरीके से पेश करती है।
अभिनय : यह फिल्म ज्यादातर वक्त बालिल खान के इर्द-गिर्द है। बाबिल ने अपना काम अच्छे ढंग से किया है। उनके एक्रप्रेशंस अच्छे हैं। रसिका दुग्गल एक या दो दृश्यों में हैं, और उनकी उपस्थिति रिफ्रेशिंग फील देती है।
पेरेंटल गाइडेंस : लॉगआउट एक साफ-सुथरी फिल्म है। कोई संवाद या दृश्य व्यस्क की श्रेणी का नहीं है। तो लॉगआउट को आप परिवार के साथ लॉगइन कर सकते हैं।
रेटिंग : 3.5 स्टार