नई दिल्ली : जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य संजय झा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक समीक्षा 2024-25 के मुताबिक, बिहार में महिला श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate) वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 20% हो गई है, जो वर्ष 2017-18 तक केवल 03% थी।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बिहार के श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी छह वर्षों में करीब सात गुनी बढ़ी है। इस एक आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले बिहार की आधी आबादी किस तरह घरों में कैद रहती थी। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि यदि नीतीश सरकार के ऐसे बड़े कामों की सूची बनाई जाए, जिनसे बिहारी समाज में क्रांतिकारी बदलाव आया है, तो उनमें महिला सशक्तिकरण को सबसे ऊपर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा छात्राओं की शिक्षा के लिए शुरू की गई दूरगामी प्रोत्साहन योजनाओं, पंचायती राज संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था और जीविका तथा उद्यमी योजना के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए किये गये प्रयासों ने आधी आबादी को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध कराए हैं।”
उन्होंने कहा कि आज पूरे बिहार में बड़ी संख्या में महिलाएं घरों से बाहर निकल रही हैं, मुखिया-सरपंच बन कर अपने गांव-समाज का नेतृत्व कर रही हैं, शिक्षिका के रूप में नई पीढ़ी का भविष्य गढ़ रही हैं, पुलिसकर्मी के रूप में समाज की सुरक्षा कर रही हैं, अन्य सरकारी एवं प्राइवेट नौकरियों के साथ-साथ विभिन्न रोजगार एवं स्वरोजगार से जुड़ कर प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।