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बिहार में बाढ़ से सुरक्षा की तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को जल शक्ति मंत्रालय से मिली तकनीकी स्वीकृति

योजनाओं में बागमती-शांति धार-बूढ़ी गंडक नदी जोड़ परियोजना, कमला बलान के दोनों तटबंधों के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण की योजना का फेज-3 और चंपारण तटबंध के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण की योजना शामिल है।

नई दिल्ली: जल शक्ति मंत्रालय ने मंगलवार को बिहार में बाढ़ से सुरक्षा से जुड़ी तीन परियोजनाओं को तकनीकी स्वीकृति प्रदान की। श्रम शक्ति भवन में मंगलवार को जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी की अध्यक्षता में तकनीकी सलाहकार समिति की 157वीं बैठक हुई। इसमें जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल और अभियंता प्रमुख (बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण) मनोज रमण शामिल हुए। बैठक में तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें बागमती-शांति धार-बूढ़ी गंडक नदी जोड़ परियोजना, कमला बलान के दोनों तटबंधों के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण की योजना का फेज-3 और चंपारण तटबंध के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण (किमी 66.0 से किमी 132.80 तक) की योजना शामिल है।

जल संसाधन विभाग की बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना के तहत सोरमारहाट-हायाघाट तटबंध के किमी 5.40 पर घोघराहा ग्राम से निःसृत शांति धार के माध्यम से बागमती नदी को शांति धार होते हुए त्रिमुहानी के निकट बूढ़ी गंडक नदी से जोड़ा जाना प्रस्तावित है। इसके लिए बागमती नदी और बूढ़ी गंडक नदी को जोड़ने वाली शांति धार (प्राकृतिक रूप से निर्मित पुरानी धार) को पुनर्जीवित किया जाएगा। इससे दरभंगा और समस्तीपुर जिले के बड़े इलाके में बागमती नदी की बाढ़ से सुरक्षा के साथ-साथ सिंचाई सुविधा भी मिलेगी।

उधर, कमला बलान के दोनों तटबंधों के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण की योजना के तीसरे फेज के कार्यान्वयन से मधुबनी जिले के जयनगर, खजौली, बाबूबरही, राजनगर, और अंधराठाढ़ी, दरभंगा जिले के गौड़ा बौराम और कुशेश्वर स्थान पूर्वी, सहरसा जिले के महिसी एवं समस्तीपुर जिले के बिथान प्रखण्डों के करीब 144 गांवों की 8.60 लाख से अधिक आबादी को बाढ़ से दीर्घकालिक सुरक्षा मिलेगी। साथ ही क्षेत्रवासियों को तटबंधों के रास्ते आवागमन का वैकल्पिक मार्ग मिल जाएगा। साथ ही, बाढ़ अवधि में तटबंधों के निरीक्षण और कटाव निरोधक सामग्रियों के परिवहन में भी सुविधा होगी।

इसी तरह चंपारण तटबंध के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण (किमी 66.0 से किमी 132.80 तक) की योजना से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिले में 8.50 लाख आबादी तथा 1.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से दीर्घकालिक सुरक्षा मिलेगी। साथ ही तटबंधों के रास्ते दोनों जिलों में आवागमन सुगम हो जाएगा।

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