देहरादून: उत्तराखंड में सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी गई। यह स्वतंत्र भारत में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है। यहां मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिसूचना जारी कर यूसीसी को लागू किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली तथा विवाह, तलाक, सहवासी संबंध के अनिवार्य आनलाइन पंजीकरण के लिए एक पोर्टल की शुरुआत की।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने यूसीसी लाने का वादा किया। इसकी शुरुआत के मौके पर राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, विधायक और अनेक नेता मौजूद थे। यूसीसी पोर्टल पर सबसे पहले मुख्यमंत्री ने अपने विवाह का पंजीकरण कराया। कार्यक्रम में मौजूद प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उनके विवाह पंजीकरण का प्रमाणपत्र उन्हें सौंपा। मुख्यमंत्री ने यूसीसी के तहत पंजीकरण कराने वाले पांच व्यक्तियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह केवल उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा, ‘इसी क्षण से उत्तराखंड में पूरी तरह से यूसीसी लागू हो गयी है और प्रदेश के सभी नागरिकों के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गए हैं।’
भाजपा ने पूरे किए वैचारिक संकल्प
मुख्यमंत्री ने यूसीसी का पूरा श्रेय राज्य की जनता को देते हुए कहा कि यह उनके लिए भावनात्मक क्षण है कि उन्होंने 2022 में जनता से जो वायदा किया था, उसे वह पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से यूसीसी की गंगा निकालने का श्रेय केवल जनता को जाता है। धामी ने कहा कि उनकी पार्टी ने अपने सभी वैचारिक संकल्पों जैसे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, तीन तलाक समाप्त करना, सीएए लागू करना और अयोध्या में भव्य राममंदिर बनाने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि अब केवल यूसीसी का संकल्प बचा था जिसे उत्तराखंड में लागू करके उसे भी पूरा करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस प्रकार से पतित पावनी मां गंगा उत्तराखंड से निकलकर पूरे देश को जीवन देने का काम करती है, उसी प्रकार से उत्तराखंड से निकली यूसीसी की गंगा की धारा सभी देशवासियों को निकट भविष्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
किसी को टारगेट नहीं : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने इस बात को फिर दोहराया कि यूसीसी किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है। इसके जरिए किसी को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। धामी ने कहा, ‘किसी को टारगेट करने जैसी कोई बात नहीं है। यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों में समानता से समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है।’ उन्होंने कहा कि कानून के माध्यम से किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है, केवल कुप्रथाओं को दूर किया गया है। समान नागरिक संहिता को धर्म, जाति, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त करने का एक संवैधाानिक उपाय बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे सभी धर्म की महिलाओं को भी समान अधिकार प्राप्त हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘इसके लागू होने से प्रदेश में सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इसके द्वारा हलाला, इददत, बहुविवाह और तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सकेगी।’ उन्होंने कहा कि इस कानून में सभी धर्मों के लोगों के लिए विवाह, विवाह-विच्छेद एवं उत्तराधिकार से संबंधित नियमों को समान कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मों के लोग अपने रीति रिवाजों के माध्यम से विवाह कर सकते हैं। इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष तय कर दी गई है।
दूसरे विवाह पर रोक, बेटी को संपत्ति में बराबर अधिकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धर्मों में पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरे विवाह को पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया है। धामी ने कहा कि यूसीसी के तहत सभी धर्मों और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। संपत्ति के अधिकार में बच्चों मं् किसी प्रकार का भेद नहीं किया जाएगा चाहे वे विवाह से उत्पन्न हुए हों या सहवासी संबंध से। जनजातियों को यूसीसी के दायरे से बाहर रखे जाने पर उठ रहे सवालों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा गया है ताकि उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। वैसे भी संविधान में उन्हें कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं।
धामी ने किया मोदी, शाह का धन्यवाद
मुख्यमंत्री ने यूसीसी तैयार करने के लिए उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति का आभार जताया जिन्होंने अधिनियम का मसौदा तैयार करने में दो लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों से सुझाव लिए। उन्होंने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह सहित अधिनियम की नियमावली बनाने वाली समिति का भी आभार जताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी उनके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करके हम संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर सहित संविधान सभा के सभी सदस्यों को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। धामी ने इस मौके पर 27 जनवरी की तारीख को उत्तराखंड में हर साल समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।